New Year 2021
सुनो दुनिया, कुछ कहना है मुझे…
कुछ दिन, कुछ महीने और कुछ बरस बेहद खुशकिस्मत होते हैं। तवारीख़ में उनका जिक्र बड़े एहतराम से किया जाता है। खूबसूरत यादें, ज़िंदगी को गुलज़ार बनाने वाले लम्हे, दुनिया को बेहतर बनाने वाले फैसले…. वजह चाहे जो भी हो, बस होता है ऐसा।
लेकिन कई बरसों, कई तारीखों के नसीब में ये खुशनसीबी नहीं होती। उनका याद आना एक टीस, एक अधूरापन और ठगे जाने का एहसास दे जाता है। गोया कि जतन से संजोए गए सपनों को वक्त ने बड़ी बेरहमी से रौंद दिया हो।
अपनी बूढ़ी हड्डियों, थरथराते कदमों और उखड़ती सांसों के दरम्यान मैं तमाम दुनिया की उस टीस को बड़ी शिद्दत से महसूस कर रहा हूं। वो लम्हा बस आने को है, जब मैं, यानी कि सन् 2020 तारीख के पन्नों में दर्ज हो जाऊंगा। मेरे मौजूदगी में दुनिया ने कितना बुरा वक्त देखा, इसके सबूत के तौर पर दर्ज होंगे आइसोलेशन, मास्क, सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे वो तमाम एहतियात जो आप सबको इस दौरान बरतने पड़े, पैरों के वो छाले जो शहरों से गांवों के सफ़र का हासिल थे, हॉस्पिटल, मौतें, डर का आलम, सन्नाटे से भरी सड़कें, सूने दिन और उचटी हुुई रातें… बयान करने लगूं तो लम्हे सदियों में बदल जाएंगे।
पिछले बरस इन्हीं दिनों 2019 ने विदा ली थी, और मेरा आना हुआ था। मुझे आज भी याद है, आपने कितने जोश और उम्मीद के साथ मेरा इस्तकबाल किया था। याद करता हूँ तो खुशी से आंखें भर आती हैं।
New Year 2021
इतनी बड़ी दुनिया को देखने, जीने और संजोने के लिए मुझे अपने हिस्से की सारी उमर दे दी गई थी… कुल जमा एक बरस की छोटी सी उमर, और मैं इसे जी भर के जीना चाहता था। जिस पल सारी दुनिया मेरे आने का जश्न मना रही थी, उस पल मैंने खुद से वादा किया था…. छोटा सा वादा… ख़ुश रहने और ख़ुश रखने का। कुछ इस तरह कि मुझे अलविदा कहते वक्त दुनिया की आंखें नम हो जाएं। वो जैसे कहानियों के आखिर में दादी-नानी कहती हैं न, ‘जैसे उनके दिन फिरे, वैसे सबके फिरें’, वैसे ही लोग कहें, ‘जैसे 2020 बीता, वैसे हर बरस बीते’।
लेकिन मुझे आने वाले तूफ़ान का इल्म कहाँ था। मैं तो ख़ुद हैरत में था… 2019 ने मुझे जिस दुनिया के बारे में बताया था, वो कहीं नहीं थी। यहां तो डर, अकेलापन और सन्नाटा था। मैं हर सुबह इस उम्मीद के साथ आंखें खोलता, कि आज स्कूलों से बच्चों का शोरगुल सुनाई देगा, पार्क के झूले अठखेलियाँ करेंगे और मास्क सैनिटाइजर जैसे लफ्ज़ बुरे सपने सरीखे लगेंगे… और हर रात मायूस होकर सो जाता।
ख़ैर, अब तो कोई उम्मीद भी नहीं कि मेरे जाते-जाते कोई करिश्मा हो जाए।
मेरा दिल जानता है, मैंने सिर्फ़ खुशियां देनी चाही थीं। आप सबके दिलों में मीठी याद बन कर विदा लेने का ख़्वाब देखा था। लेकिन अब जबकि आप सब मेरे जाने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, यही सोच रहे हैं कि ‘जैसे 2020 बीता, कोई बरस न बीते’, सच कहूं तो मेरे दिल पर नश्तर चल रहे हैं। ऐसी अलविदा तो नहीं चाही थी मैंने। जिस नामालूम से वायरस ने सारी दुनिया को अपने कदमों में झुका दिया, यक़ीन मानिए… मैं ख़ुद भी उसका शिकार हुआ हूं। आप सबकी उम्मीदों पर खरा न उतर सका, इसका कितना मलाल है, मैं लफ़्ज़ों में बयान नहीं कर सकता। दुआ है कि जल्दी ही सब ठीक हो जाए, और अगले बरस आप सब फ़िर से अपनी उसी दुनिया में लौट सकें।
यक़ीनन ऐसा होगा, पर देखने के लिए मैं नहीं रहूँगा। माज़ी के पन्नों में दफ़्न होने का वक्त आ गया है। आने वाले साल (new year 2021) पर मेरी परछाईं भी न पड़े, यही दुआ है।
अपने बारह महीनों के हिस्से में हमेशा के लिए दर्ज हो चुकी टीस, शर्मिंदगी और सूनेपन के साथ आपसे विदा लेता हूँ। जाते-जाते उन सारी ख़ताओं के लिए तहेदिल से मुआफ़ी मांगता हूँ, जो मैंने कभी की ही नहीं। उम्मीद है आप मेरा दिल रखने के लिए ही सही, मुझे मुआफ़ कर देंगे।
– कैसे कहूँ कि ‘आपका’ 2020
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6 comments
Sabke mn ki baat hai ye article 👌👌👏👏👏👏
हमेशा की तरह बहुत सुंदर ।
Thank you Shanti
बहुत खूब बयां किया है 2020 का दर्द,भाषा,प्रवाह और शब्दों ने मन मोह लिया।
Thank you Anjali
तारीख की तरफ़ से किया ये इकरार-ए-जुर्म
बहुत सुंदर !!!