New Year Wishes
आसमान कितना नीला लगने लगा। धरती बहुत हरी-भरी हो गयी। जंगलों में रहने वाली नीलगाय शहर की सूनी सड़कों पर दिखने लगीं। नदियों के पानी में शीशे की तरह आर-पार दिखने लगा। शहरों की हवा एकदम ताज़ी और साफ़ लगने लगी, जैसी पहाड़ों पर होती है। बिलकुल ऐसे जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया था। लेकिन ईश्वर की इतनी सब सुंदर रचनाओं के बीच उसकी एक और ख़ूबसूरत कृति “इंसान” कहाँ था? कहाँ था उसका वह मान, आत्मविश्वास और संसार में सर्वश्रेष्ठ होने का घमंड? बंद घरों की खिडकियों से झांकते हुए, अपनी आँखों से उन रास्तों को नापते हुए, जिन पर कभी पूरा दिन तेज़ रफ़्तार से भागते रहते थे, आज उन्हीं सड़कों पर चार कदम चलने में उन्हें घबराहट हो रही थी। जैसे प्रकृति और एक वायरस ने मिलकर एक जाल बिछाया उसके लिए, जिसने कभी कुदरत की हर देन को अपने बस में किया हुआ था। उसके कहीं भी आने-जाने, मिलने-जुलने यहाँ तक कि, खुल कर सांस लेने पर भी पहरे लग गए।
वो छह साल की छोटी सी मीशा, जिसने अप्रैल में स्कूल खुलते ही अपनी प्रियंका मैम को वो ड्राइंग दिखानी थी, जिसमें उसने दो गोले बना कर बिल्ली बनाना सीखा था। कितनी छोटी सी हसरत थी और कितनी बड़ी मायूसी। उसका दो साल का नन्हा सा भाई, जिसने पहली बार पार्क में झूले पर बैठकर ख़ुशी की किलकारी भरनी थी, वो अभी तक नहीं जानता कि झूला जब ऊपर जाता है तो आसमान कितना पास लगने लगता है।
एक दस साल की चंदा भी है, जो लाल बत्ती पर रुकी गाड़ियों के शीशे खटखटा कर पैसे मांगती थी, और एक दिन में सौ रूपए तक बना ही लेती थी। लेकिन अब कोई शीशा नहीं खुलता, कोई हाथ उसकी तरफ पैसे नहीं बढाता। पहले ही मुश्किलों से भरी ज़िंदगी और मुश्किल हो चली है।
अब इस जाते हुए साल को विदा देते हुए यही उम्मीद है कि आने वाला साल (new year 2021) बेहतर होगा।
बिमला जी की आँखों की रौशनी दिन-ब-दिन और धुंधलाती जा रही है, लेकिन अपने बेटे को पास बुलाये बिना मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने में उन्हें डर लग रहा है। लेकिन न जाने इतनी दूर अमेरिका से वह कब आ पायेगा, और आ भी गया तो क्या पता वापिस जाना कितना मुश्किल होगा।
सिर्फ इंसान ही नहीं, पहले लाकडाउन के दौरान नुक्कड़ वाले ढाबे के पास घूमने वाला कुत्ता झबरू भी अपने साथियों के साथ रात-रात भर भूख से रोता रहा, क्योंकि ढाबा बंद था और उसके हिस्से की रोटी भी जैसे कोरोना ने निगल ली थी। सूनी, अँधेरी रात में कुत्ते की दर्द और याचना से भरी रोने की आवाज़ डराने से ज्यादा दुखी कर रही थी।
ऐसे अनगिनत लोग, उनकी अनगिनत कहानियों, समझौतों, मजबूरियों और दुःख-दर्द से मिल कर बना ये साल 2020 । जिस में हर उम्र, हर तबके, हर पेशे के लोगों ने अपने-अपने स्तर पर एक जंग लड़ी है, और अब भी लड़ रहे हैं। किसी के सपने पीछे छूट गए हैं, तो किसी के अपने। दिन-रात ख़बरों में मरीजों के बदलते आंकड़े कभी कम होते दिखते है तो थोड़ी सी राहत लगती है, लेकिन जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके लिए उनके परिजन सिर्फ एक संख्या नहीं हैं। ये वो लोग थे जिनके साथ उन्होंने अपना जीवन बांटा है और जो अब इस ख़त्म होते साल की सबसे दुखद याद हैं।
New Year 2021
इस साल ने सबको अपने अंदर झाँक कर अपनेआप को बेहतर बनाने का मौका भी दिया है। अपनी काबिलियत और हुनर को दुनिया के सामने रखने का हौसला भी दिया है। इस बीमारी से अकेले कमरे में लड़ते हुए भी कोई अकेला नहीं था। टेक्नोलॉजी ने सबको ऐसे मुश्किल वक्त में जोड़े रखने में एक मिसाल कायम की। अब इस जाते हुए साल को विदा देते हुए यही उम्मीद है कि आने वाला साल (new year 2021) बेहतर होगा।
“यह वक्त भी गुज़र जाएगा!”
“THIS TOO SHALL PASS!”
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3 comments
बहुत खूबसूरत लिखा है. दिल को छू गया । नया साल सबके लिए मंगलमय हो !
इस बीते साल ने हमें यह भी सिखाया की इंसान की ज़रूरतें कम पर है पर फिर भी हम सब में, मेरा ओर ज़्यादा मेरा के वहम ओर अहम में ही रहते है.
उम्मीद भरे लेख एक रोशनी की डोर थमा जाते हैं…ऐसा ही प्यारा, सुंदर लिखा है आपने